6 अक्टूबर से प्रदेशभर के बिजली कर्मचारी एक बार फिरसे हड़ताल पर जा रहे हैं. यानी के अब आपको एक बार फिरसे बिजली की परेशानी से दोचार होना पडेगा. जबकि प्रदेश सरकार द्वारा बिजली कर्मचारियों की किसी भी प्रकार की हड़ताल और कार्य बहिष्कार पर एस्मा लगाया गया है. लेकिन संयुक्त कर्मचारी मोर्चा इसे गंभीरता से नही ले रहे हैं. दूसरी तरफ अपनी पड़ताल को लेकर संयुक्त कर्मचारी मोर्चा ने पूरी रणनीति भी बना दी है. वहीं ऑल इंडिया इंजीनियर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दे दिया है और 6 अक्टूबर को वो भी उत्तराखंड में आ रहे हैं. संयुक्त कर्मचारी मोर्चा के पदाधिकारियों को कहना है की हमारा सरकार के साथ लिखित समझौता हुआ था जिसमें खुद ऊर्जा मंत्री के साथ सचिव भी मौजूद थे. लेकिन जब कोई भी कार्यवाही नही हुई थी नोटिस फिर से दिया गया. लेकिन स्थिति यह है की सरकार यह सोच रही है की किस तरह से हड़ताल को कुचला जाए बावजूद इसके की कैसे समाधान निकाला जाए.
संयुक्त कर्मचारी मोर्चा की कुल 14 मांगे हैं जिसमें से सबसे महत्वपूर्ण है एसीबी की डिमांड रेगुलर की है इसमें 7वें वेतनमान में इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया था, इसके साथ पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से लागू किया जाए. तिसरी मांग है उपनल के कर्मचारियों को नियमित किया जाए और समान कार्य समान वेतन दिया जाए.
ऐसा नही है की सरकार द्वारा कोई तरिका नही निकाला जा रहा है, संयुक्त कर्मचारी मोर्चा के अनुसार सरकार ने पड़ोसी राज्यों से बिजली कर्मचारियों की मांग की है, लेकिन वहां की कर्मचारी यूनियन ने अपनी सरकारों को साफ लिखकर दे दिया है की हमारे यहां से कोई भी कर्मचारी उत्तराखंड नही जायेगा.