उत्तराखंड में कुछ विघ्नसंतोषी, आये दिन कुछ न कुछ नए खुरपेंच में लगे रहते हैं। इस बार उनके हाथ कुछ नहीं आया तो निशाना कांग्रेस के मार्फत राज्य के सूचना विभाग को बना डाला। एक पत्रिका को कथित रूप से विज्ञापन जारी करने के मामले में तथ्यों को परे रखकर अनर्गल आरोप लगाए जा रहे जबकि हकीकत यह है कि राज्य की धामी सरकार पत्रकारों के हितों के लिए पूरे समर्पण भाव से कार्य कर रही है। राज्य के पत्रकारों के हित में पहली बार ऐसे कई ठोस निर्णय लिए गए जो पहले कभी नहीं हुए। सबसे अहम बात यह कि स्वयं मुख्यमंत्री धामी बीती 5 अगस्त को सूचना निदेशालय पहुँचे और सूचना महानिदेशक व उनकी पूरी टीम की मौजूदगी में राज्य के पत्रकारों के हित में तमाम अहम निर्णय लिए।
बैठक में निर्णय लिया गया कि पत्रकारों के लिए बने कार्पस फण्ड को 10 करोड़ किया जाएगा। पहले इस फंड की राशि 5 करोड़ हुआ करती थी। यानि अब इसे दोगुना कर दिया गया है। इतना ही नहीं, पहली बार किसी सरकार ने तहसील स्तर पर कार्यरत पत्रकारों को मान्यता देने के लिए व्यवस्था बनाने की बात कही है। एक और बात यह कि पत्रकारों को ग्रुप इन्शुरन्स की सुविधा देने पर भी विचार शुरू हो गया है।
वहीं, विभाग द्वारा नियमित रूप से उत्तराखंड के छोटे एवं मंझौले पत्र पत्रिकाओं का विशेष रूप से प्रोत्साहन किया जा रहा है। विगत दो वर्ष से इन पत्रों को नियमित रूप से विज्ञापन प्रदान किये जा रहे हैं। इसी 15 अगस्त को समस्त साप्ताहिक-मासिक आदि पत्र पत्रिकाओं को दो दो पेज का विज्ञापन जारी करने के अलावा इससे कुछ दिन पूर्व भी एक विज्ञापन छोटे पत्र-पत्रिकाओं को दिया गया। ऐसे में, विज्ञापनों को लेकर बेवजह का बवंडर करना प्रायोजित नजर आता है।