पौड़ी से कुलदीप बिष्ट की रिपोर्ट
बता दें कि आज जिला प्रशासन ने पौड़ी में आपदा को लेकर मॉकड्रिल का आयोजन किया। जिसमें वनाग्नि से लेकर विभिन्न प्रकार की आपदाओं से निपटने का पूर्वाभ्यास किया गया। जिसमें जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों से आपदा में राहत और बचाव के गुरू सीखे। लेकिन सोचने वाला विषय तो यह है कि जहां एक तरफ पौड़ी में मॉक ड्रिल की जा रही थी तो दूसरी ओर पौड़ी में ही कई जंगल जलकर खाक भी हो रहे थे । बताते चलें कि मॉकड्रिल के बावजूद भी शहर के नगर पालिका क्षेत्र गडोली समेत जनपद में अभी तक वनाग्नि की 200 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। गढ़वाल डिविजन के गढ़वाल वन प्रभाग की ही हैं। जो कि जिला मुख्यालय से सटा हुआ क्षेत्र है। गढ़वाल वन प्रभाग में अभी तक 71 वनाग्नि की घटनाओं समेत अन्य प्रभागों को मिलाकर कुल 84 घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि सिविल वन प्रभाग की 116 घटनाएं हुई हैं। वनाग्नि की इन घटनाओं से करीब 8.25 लाख की क्षति पहुंची है।ऐसे में वनाग्नि और आपदा को लेकर हुए मॉकड्रिल में तकनीकी जानकारियां तो दी गई लेकिन वास्तविक घटनाओं से अधिकारी और आपदा प्रबंधन तंत्र नदारद रहा।