हरक सिंह रावत को जैसे ही भाजपा ने बाहर का रास्ता दिखाया तो अब यह चर्चाएं भी चलने लगी है कि भाजपा ने ठीक समय पर यह फैसला लिया है.
हरक सिंह रावत के सरकार में रहते हुए पिछले 5 साल के कामकाज को देखा जाए तो उन्होंने समय-समय पर भाजपा को अपने बयानों से परेशान करने की कोशिश की थी, फिर भाजपा के संगठन से जुड़े बड़े नेताओं की बात करें या फिर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सभी हरक सिंह रावत के बयानों से असहज महसूस करते रहते थे।
इसी बीच जब यह चर्चाएं तेज हो गए कि हरक सिंह रावत किसी भी वक्त कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं तो ठीक उससे पहले भाजपा ने हरक सिंह रावत को बाहर का रास्ता दिखा दिया.
पार्टी ने जहां उन्हें 6 साल के लिए बर्खास्त कर दिया, तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
इसी बीच जहां हरक सिंह रावत की एंट्री कांग्रेस में बहुत आसानी से होने जा रही थी तो भाजपा के इस निर्णय के बाद अब पेंच फंस गया है, और जिस स्वतंत्रता के साथ हरक सिंह रावत कांग्रेस में जा रहे थे अब उनके लिए इतना आसान नहीं रह गया है।
दूसरी तरफ अब हरक सिंह रावत की एंट्री को लेकर हरीश रावत भी असहज हैं, वो चाहते हैं कि उनकी एंट्री कांग्रेस में ना हो, तो दूसरी तरफ भाजपा तो पहले ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।
ऐसे में हरक सिंह रावत बीच में फंस गए हैं, यदि कांग्रेस उन्हें एंट्री नहीं देती तो वह क्या करेंगे?
भाजपा ने जिस तरह से पूरी गणित चली है इससे यह तो साफ हो गया है कि इसका फायदा आने वाले चुनाव में भाजपा को मिलने जा रहा है. सिर्फ सोशल मीडिया में पिछले 12 घंटे पर नजर डालें तो हर तरफ हरक सिंह रावत को लेकर विरोध सामने आ रहा है. लगातार आम लोग भाजपा के इस निर्णय का समर्थन भी करते हुए दिख रहे हैं.
भाजपा के इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि उन्होंने भले ही यह फैसला देर में लिया हो, लेकिन यह उनके लिए फायदेमंद होने जा रहा है. और आने वाले चुनाव में कुछ ना कुछ फायदा इससे जरूर भाजपा को होगा. साथ ही कांग्रेस अगर अभी हरक सिंह रावत को पार्टी की सदस्यता दिला देती है तो थोड़ा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है, और इस बात को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी अच्छे से भाग रहे हैं