उत्तराखंड में आपदा आना कोई बड़ी बात नहीं है। कभी बादल फटने की घटनाएं हो जाती है तो कहीं भी सड़क धंस जाती है और भूस्खलन तो प्रदेश में होता ही रहता है। ऐसे में बचाव राहत कार्य में एसडीआरएफ की एक अहम भूमिका रहती है। रेस्क्यू ऑपरेशन की जब बात करते हैं तो एसडीआरएफ सबसे पहले मैदान में पहुंचती है, और हर जोखिम में रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा करती है ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एसटीआरएफ के ऐसे ही जांबाज जवानों के लिए बड़ा फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को जौलीग्रान्ट में नवनिर्मित एस.डी.आर.एफ मुख्यालय एवं फायर स्टेशन का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर एसडीआरएफ के जवानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने एक बड़ी घोषणा की, सीएम धामी ने कहा की एस०डी०आर०एफ० द्वारा 11 हजार फीट से अधिक ऊँचाई पर किये जाने वाले रेस्क्यू कार्यों के लिए अन्य अर्धसैनिक बलों की तर्ज पर एस.डी.आर.एफ में कार्य करने वाले राजपत्रित अधिकारियों को 1500 रुपए एवं अराजपत्रित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को 1000 रुपए प्रतिदिन जोखिम भत्ता प्रदान किया जाएगा। आपदा प्रबन्धन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाए जाने के उद्देश्य से एस.डी.आर.एफ की छठी कम्पनी गठित की जाएगी, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर एक-तिहाई महिला कार्मिकों की नियुक्ति की जाएगी। एस.डी.आर.एफ. में प्रतिनियुक्ति की समयावधि 07 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की जाएगी।
सीएम धामी ने नवनिर्मित एस.डी.आर.एफ ट्रेनिंग सेंटर और वाहिनी मुख्यालय के लोकार्पण के अवसर पर एस.डी.आर.एफ की टीम को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि मुझे मुख्य सेवक के रूप में एसडीआरएफ के इस नवनिर्मित मुख्यालय को आज प्रदेश को समर्पित करने का मौका मिल रहा है। लगभग 144.43 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एस.डी.आर.एफ के मुख्यालय में प्रशिक्षण एवं आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अन्य गतिविधियां भी होंगी। उन्होंने कहा कि एस.डी.आर.एफ के जवानों और अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन साहस, वीरता, सेवा और समर्पण भाव को से किया जा रहा है। इनका त्याग और कार्यकुशलता अनुकरणीय है। विषम परिस्थितियों में इनके द्वारा जिस साहस से कार्य किया जाता है, वह सराहनीय है।