कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए भर्ती घोटाले का आरोप लगाया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने कहा है की उत्तराखंड के काबीना मंत्री एवं पूर्व विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में हुई 129 भर्तियों में बड़ा झोल हुआ है।
राज्य गठन हुए 22 साल हो चुके हैं लेकिन जिस अवधारणा के साथ उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उसको भाजपा राज में हर स्तर पर तार-तार किया जा रहा है ।राज्य के युवाओं के साथ छलावा करते हुए जिस तरह से विधानसभा में बड़े-बड़े नेताओं के चहेतों को रेवड़ी की तरह नौकरियां बांटी गई है उससे तो यही प्रतीत होता है कि राज्य में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति हो रही है। प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है लेकिन वहां की विधानसभा में भी मात्र 543 कर्मचारी अधिकारी कार्यरत हैं लेकिन 70 विधानसभाओं वाले छोटे से राज्य उत्तराखंड ने नौकरियां बांटने के मामले में उत्तर प्रदेश को भी पछाड़ दिया है । उत्तराखंड की विधानसभा में कर्मचारियों की संख्या 560 पार कर गई है।
वहीं प्रेमचंद अग्रवाल से जब पूछा गया की कांग्रेस आरोप लगा रही है की आपके कार्यकाल के दौरान विधानसभा में जो भर्तियां हुई उनमें पारदर्शिता नही थी. जिसके जवाब में प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा की जब वह विधानसभा स्पीकर थे तो आवश्यकता अनुसार ही उन्होंने विधानसभा में अभ्यर्थियों की भर्ती करवाई। उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले भी जब-जब विधानसभा स्पीकर को जरूरत लगती है तो विधानसभा में भर्तियां की जाती है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे समय में जो भर्तियां की गई उस समय गैर सेंड में ग्रीष्मकालीन राजधानी के तहत स्टाफ की जरूरत थी जिन को अस्थाई तौर पर रखा गया है और विपक्ष इसमें बेवजह तूल दे रहा है।
उन्होंने आगे बताया कि 21 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है जब सभी भर्तियों को आयोग के माध्यम से करवाया गया है और अगर कोई किसी कारणवश कोर्ट जाता है तो इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता लेकिन हर भर्ती में पारदर्शिता को पूरी तरह रखा गया है।
वहीं कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन पर बेबुनियाद आरोप लगा रही है और कांग्रेस अपने गिरेबान में झांक कर देखिए कि उनके कार्यकाल में विधानसभा स्पीकर द्वारा कितने लोगों को अवैध रूप से नौकरी में लगाया गया है और मीडिया इस बारे में खुद मालूम कर सकता है कि किस तरीके से कांग्रेस के राज में विधानसभा में नौकरियों में बंदरबांट की गई।