उत्तराखंड में ऐसे कई सारे पौराणिक धर्मस्थल हैं जो हिंदू धर्म ग्रंथो से जुड़े हुए हैं और एक ऐसा ही धर्मस्थल है ओंकारेश्वर मंदिर। उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदारनाथ शीतकाल में विराजमान रहते हैं और उनकी पूजा अर्चना इसी मंदिर में शीतकाल में की जाती है। उसके साथ ही हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार ओमकारेश्वर मंदिर का और भी बहुत ज्यादा महत्व है। वही श्री बदरी केदार मंदिर समिति ने अब ओंकारेश्वर मंदिर का जीवर्णोधार करने का फैसला लिया है। श्री बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया की हिंदू धर्म ग्रंथों में ओमकारेश्वर मंदिर का अपना महत्व है बाबा केदारनाथ और मदमेश्वर के कपाट बंद हो जाते हैं तब उनकी पूजा वहीं पर होती है इसके साथ है पंच केदार की गद्दी स्थल भी वहीं पर है। वहीं फिलहाल वहां पर जो पौराणिक विरासत है वो खराब होती जा रही है और स्थानीय लोगों की मांग लगातार हो रही है की उसका जीवर्णोधार किया जाए और इसी को देखते हुए ये फैसला लिया गया है। इसके लिए पूरा रोड मैप तैयार कर दिया गया है।
श्री बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि जिस तरह से ओमकारेश्वर मंदिर का जीवर्णोधार क्या जा रहा है उसी तरह से और भी मंदिर है जिनको लेकर प्रपोजल तैयार किया जा रहा है और जल्द ही उन मंदिरों को भी संवारा जाएगा इन मंदिरों में त्रियुगीनारायण मंदिर, तुंगनाथ मंदिर के जीवर्णोधार के लिए भी हम प्रयास करेंगे किसके लिए हमने भारतीय पुरात्व विभाग को भी लिखा है।