पूर्व में उत्तराखंड सरकार ने बड़े उत्साह के साथ देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। इस दौरान देवस्थानम बोर्ड जहां पहले श्राइन बोर्ड के तर्ज पर सामने आया था, वहीं इसके विरोध होने के बाद उसका नाम बदलकर देवस्थानम बोर्ड कर दिया गया। वहीं इस बोर्ड के गठन के बाद प्रदेश सरकार ने दावे किए कि आने वाले समय में उत्तराखंड के चारधाम सहित जिन 51 मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड के अंदर रखा गया है सभी निरंतर आगे बढ़ेंगे और इनका रखरखाव भी ज्यादा बेहतर हो पाएगा। इस बोर्ड के गठन के बाद प्रदेश सरकार को हक हकूबधारी और तीर्थ पुरोहित के गुस्से का सामना करना पड़ा, जहां चार धाम में हक हकूब धारी और पंडा समाज से जुड़े हुए तीर्थ पुरोहितों ने प्रदेशभर में प्रदर्शन किए, दूसरी तरफ उनका प्रतिनिधि मंडल भी लगातार प्रदेश सरकार से मुलाकातें भी करता रहा,लेकिन इन मुलाकातो में कभी भी सही निर्णय और इसको लेकर कोई बड़ी खबर सामने नहीं आ पाई। लेकिन अब जाकर प्रदेश सरकार ने इस को भंग करने का फैसला ले लिया है, क्योंकि तीर्थ पुरोहित लगातार सरकार पर दबाव बना रहे थे की इस बोर्ड को भंग कर देना चाहिए, और अगर इसे भंग नहीं किया जाता है तो वह सड़कों पर आएंगे और ज्यादा से ज्यादा प्रदर्शन करेंगे।
वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव नजदीक है इसे देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया है खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया इसकी जानकारी देते हुए बताया कि आप हम को भंग करने जा रहे हैं वही धर्म एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने भी बताया था कि हमने कमेटी का गठन किया और कमेटी की रिपोर्ट सामने आ गई उन्होंने यह भी बताया कि इस फैसले को वापस लेने का समय आ गया है।