उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भले ही स्कूलों की कोई कमी नहीं है लेकिन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की बहुत कमी है हालात यह हैं कि सरकार भले ही लाख दावे करें लेकिन आज तक पहाड़ों में शिक्षक ठीक से चढ़ ही नही पाए हैं,और जो कुछ शिक्षक पहाड़ों के स्कूलों में हैं वह अपने अटैचमेंट को लेकर शिक्षा विभाग और मंत्रियों के चक्कर काटते रहते हैं. और इसके चलते ही हालात यह है कि आज स्कूलों में पूरे शिक्षक ही नहीं है।
और एक ऐसा ही मामला सामने आया है घनसाली. जनपद टिहरी गढ़वाल के आदर्श विद्यालय राजकीय इंटर कालेज अखोड़ी (GIC Akhori) में शिक्षकों की नियुक्ति की मांग को लेकर अभिभावकों का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन पिछले कई दिनों से जारी है.
शिक्षक दिवस के अवसर पर भी जनप्रतिनिधियों, शिक्षा विभाग की चुप्पी पर अब क्षेत्रवासियों में आक्रोश बढ़ने लगा है. उम्मीद की जा रही थी कि शिक्षक दिवस के दिन स्थानीय जनप्रतिनिधि, शिक्षा विभाग और उत्तराखंड सरकार उत्तराखंड के गांधी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी की जन्मस्थली में शिक्षकों की मांग पूरी कर राज्य के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का बड़ा संदेश देगी, लेकिन कागजों पर किए जाने वाले सभी दावों की हकीकत अखोड़ी में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी रहने के रूप में सामने है.
अभिभावक संघ के अध्यक्ष श्री विक्रम घनाता के नेतृत्व में अखोड़ी में चल रहा अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन अब घनसाली विधानसभा में एक बड़े शिक्षा आंदोलन के रूप में आगे बढ़ने की ओर अग्रसर है. यहां आसपास की पट्टियों से बड़ी संख्या में लोग रोज धरनास्थल अखोड़ी पहुंच रहे हैं.
अभिभावक संघ के अध्यक्ष श्री विक्रम घनाता ने ऐलान किया कि शिक्षक दिवस पर भी हमारी मांगों को अनदेखा किया जाना दुर्गम क्षेत्रों के प्रति सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की लापरवाही नतीजा है.
शिक्षक दिवस के अवसर पर आज पांचवें दिन अखोड़ी में चल रहे धरना प्रदर्शन को समर्थन देने शिक्षाविद श्री लक्ष्मी प्रसाद अंथवाल भी पहुंचे. राज्य के सामाजिक शैक्षणिक मुद्दों पर प्रखर राय रखने वाले समाजसेवी व पूर्व प्रवक्ता श्री लक्ष्मी प्रसाद अंथवाल ने कहा कि राज्य निर्माण के अग्रणी इंद्रमणि बडोनी जी के गांव में चल रहा यह आंदोलन राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की नाकामी का जीता जागता उदाहरण है. श्री लक्ष्मी प्रसाद अंथवाल ने कहा कि यह बड़ी विडम्बना है कि जो काम लिपिकों द्वारा किया जा सकता है वह शिक्षा विभाग अध्यापकों से करवा रहा है और बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर धकेला जा रहा है.
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