इस आर्टिकल का पूरा रेफरेंस सिद्धांत अग्निहोत्री सर के यूट्यूब चैनल study glows से लिया गया है।
पिछले लंबे समय से भारत और चीन के बीच में टेंशन सिर्फ बढ़ती ही जा रहा है। फिर चाहे सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच में बढ़ रहा संघर्ष हो या फिर वैश्विक बाजार में एक दूसरे के सामने खड़ा होना।
वहीं पिछले कुछ समय में भारत ने चीन के कई सारे ऐप भारत में बैन कर दिए हैं, तो दूसरी तरफ अब सुनने में आ रहा है कि भारत ने चाइना के 12,000 रुपए से नीचे के मोबाइलों को भी भारत में बंद करने का फैसला लिया है। वैसे तो इसकी कई सारी वजह हैं, लेकिन जो प्रमुख वजह है वो है, इन मोबाइल्स में चाइना खुद के द्वारा निर्मित chip का ही इस्तेमाल करता है जबकि 12,000 से ऊपर के मोबाइल में पूरी दुनिया 70% ताइवान में निर्मित चिप का इस्तेमाल करती है और इसमें चाइना भी शामिल है। और यही भारत के लिए एक खतरा हो सकता है क्योंकि वह खुद के द्वारा निर्मित मोबाइल चिप का इस्तेमाल जहां भी करता है वह देश की सुरक्षा के लिए खतरा होता है।
लेकिन अभी हम इस बात की चर्चा नहीं कर रहे हैं।
आप में से हर किसी को वो दिन याद होगा जब भारत और चीन के सैनिक एक दूसरे से भिड़ गए थे यह मामला गलवान घाटी का है जहां पर चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के ऊपर रात में हमला कर दिया था इस हमले में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे तो कई मीडिया रिपोर्ट बताती है कि चीन के 50 से ज्यादा सैनिक मौत के घाट उतार दिए गए थे। लेकिन
आज भी हर कोई यही जानना चाहता है कि गलवान में उस दिन हुआ क्या था? और इसी को लेकर सिद्धांत अग्निहोत्री सर ने हिंदुस्तान टाइम्स के जर्नलिस्ट राहुल सेन और इंडिया टुडे के शिव अरोड़ा का जिक्र करते हुए और उनकी किताब का जिक्र करते हुए बताया है कि उस रात क्या कुछ हुआ था।
सिद्धांत अग्निहोत्री बताते हैं कि राहुल सेन और शिव अरोड़ा ने जो किताब लिखी है उसमें उन्होंने बिहार 16 रेजिमेंट के जवानों से बात की है जो उस दौरान मौजूद थे, यानी कि गलवान घाटी, 15 जून 2020 में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच में जो संघर्ष हुआ था उसमें मौजूद भारतीय सैनिकों से इन दोनों ने बात की।
इस दौरान भारतीय सैनिकों ने बताया कि उस रात जो कुछ हुआ वह चीनी सेना द्वारा किया गया एक हमला था। उन्होंने बताया कि उस रात की घटना से कुछ समय पहले लगभग कुछ चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए जहां पर उन्होंने भारतीय सैनिकों के साथ धक्का-मुक्की की और इसी दौरान उन्होंने भारतीय सैनिकों के कमांडर संतोष बाबू के साथ बदतमीजी की, जिसके बाद भारतीय सैनिक नाराज हो गए और उन्होंने चीनी सैनिकों को बुरी तरह से पीटा और उन्हें वापस खदेड़ दिया।
लेकिन मामला उसी वक्त शांत नहीं हुआ,भारतीय सैनिकों ने बताया कि इस बात को कमांडर संतोष बाबू भांप गए थे, कि चीनी सैनिक वापिस आएंगे और देखने को भी यही मिला। 14 तारीख लगभग 5 बजे के करीब 12 चीनी सैनिक वापस गलवान घाटी के उसी जगह में पहुंच गए जबकि भारत की तरफ से उस समय लगभग 300 सैनिक मौजूद थे।
भारतीय सैनिकों ने बताया कि चीनी सैनिकों ने इस तरह की ड्रेस पहन रखी थी कि वह पूरी की पूरी चमक रही थी उनके ड्रेस में अल्ट्रा लाइट थी जिससे आंखों के सामने कुछ देर के लिए अंधेरा छा जाए।
सैनिकों ने बताया कि देखते ही देखते चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी करनी शुरू कर दी, वहीं जो सबसे अलग बात थी वह यह थी कि उनमें से ज्यादातर सैनिक ऐसे थे जो कि पहले कभी भी वहां पर नहीं देखे गए थे (आमतौर पर गलवान घाटी में भारतीय सेना की तरफ से जो रेजिमेंट रहती है, वो रेजिमेंट चीनी सेना के जवानों को भी पहचानती है। क्योंकि चीनी सेना के जवान भी वहां पर लंबे समय तक मौजूद रहते हैं और वो एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं) लेकिन जैसे ही चीनी सेना के जवानों ने हमला किया भारतीय सैनिकों ने डटकर उनका सामना किया इस दौरान कमांडर संतोष बाबू वीरगति को प्राप्त हो गए, उनके सर पर पत्थर लगने से उनकी मृत्यु हुई। वहीं भारतीय सेना के डॉक्टर जो कि सैनिकों का इलाज करने के लिए वहां पर मौजूद थे, सूबेदार नाथूराम सुरेन भी वीरगति को प्राप्त हुए। जबकि सूबेदार नाथूराम सुरेन जिस समय वीरगति को प्राप्त हुए उस समय वह घायल सैनिकों का इलाज कर रहे थे, यही नहीं वह सिर्फ भारतीय सैनिकों का ही नहीं बल्कि चीनी सैनिकों का भी इलाज कर रहे थे जो कि घायल हुए थे। सूबेदार सुरेन ने कहा कि वह एक डॉक्टर है और अपने कर्तव्य का पालन करेंगे फिर चाहे भारतीय सैनिक हो या चीनी सैनिक उस सभी का इलाज करेंगे।
वही जिस वक्त वह चीनी सैनिकों का इलाज कर रहे थे तो ऊपर पहाड़ पर बैठे चीनी सैनिकों ने पत्थर फेंक दिए और इसी दौरान सूबेदार नाथूराम सुरेन वीरगति को प्राप्त हो गए।