बीएड (टीईटी) प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ से जुड़े शिक्षक पिछले लंबे समय से अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं, वहीं जब हम कुछ साल पहले की बात करें, तो देहरादून में एक धरना स्थल हुआ करता था लेकिन देहरादून को जैसे ही स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाना शुरू हुआ तो धरना स्थल को बदल दिया गया, जिसके बाद अब धरना स्थल ननूरखेड़ा चला गया है, वहीं
बीएड (टीईटी) प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ के शिक्षक शिक्षा निदेशालय के बाहर ही धरने में बैठे हैं, लेकिन आज जब हम वहां पर पहुंचे तो देखने को मिला कि हर दिन जहां पर शिक्षक धरना देते थे उस जगह एक वाहन पार्क किया हुआ है, और शिक्षक बाहर खुले मैदान में उसी के किनारे में बैठे हुए हैं।
जिसके बाद जब हमने पूछा कि आप लोग बाहर क्यों बैठे और वहां पर किसकी गाड़ी है तो शिक्षकों ने बड़े प्रेम भाव से जवाब दिया कि सर हम ही लेट हो गए थे, तो शायद उन्होंने गाड़ी लगा दी, फिर हमने किसी को परेशान करना सही नहीं समझा।
लेकिन सवाल तो खड़ा होता है कि अगर हर दिन शिक्षक उसी जगह में धरना दे रहे थे तो फिर वह कौन व्यक्ति थे जिन्होंने उत्तराखंड सरकार के गाड़ी उसी जगह में पार्क कर दी,और क्या किसी को धरना देने के लिए भी एक सरकारी गाड़ी के मालिक से परमिशन लेनी पड़ेगी।