उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी संख्या में डॉक्टरों के अस्पतालों में फेरबदल किए हैं , अब कई सारे डॉक्टर जो की पौड़ी में तैनात थे उनको इधर का उधर किया गया है.तो कई सारे डॉक्टर ऐसे भी हैं जिन्हें पहाड़ से मैदान भेज दिया गया है.जहां पौड़ी के अस्पताल को पीपीपी मोड में दे दिया गया है, तो उसके बाद वहां के अस्पताल के डॉक्टरों को भी दूसरे अस्पतालों में भेज दिया गया है.
दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के लिए डॉक्टरों की कमी हमेशा से एक चुनौती रही है। यह चुनौती अभी भी बरकरार है जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की उत्तराखंड में खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत ज्यादा जरूरत है तो स्वास्थ विभाग लंबे समय से दावे भी कर रहा है कि इंटरव्यू चल रहे हैं.उत्तराखंड में डॉक्टरों की कितनी कमीनी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहाड़ों के कई सारे समुदायिक केंद्र ऐसे हैं जहां पर डॉक्टर उपलब्ध नहीं है वहां पर या तो नर्स या फिर फार्मेसिस्ट उन सामुदायिक केंद्रों को चला रहे हैं। साथी उन सामुदायिक केंद्रों में ना ही अच्छे उपकरण हैं और ना ही उन उपकरणों को संचालित करने वाले कर्मचारी.
उत्तराखंड में 733 चिकित्सा इकाइयां स्थापित है जिसमें 13 जिला चिकित्सालय 21 उप जिला चिकित्सालय, 21 सामुदायिक केंद्र और 526 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप ए, 52 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टाइप बी और 41 अन्य चिकित्सा इकाइयां शामिल है। जिसमें से चिकित्सकों के 2735 पद हैं जबकि इसके सापेक्ष में प्रदेश में 2000 डॉक्टर ही उपलब्ध है